सुप्रीम कोर्ट ने हिमाचल सरकार की याचिका पर जारी किया नोटिस
मुख्य संसदीय सचिव नियुक्त मामले में हिमाचल प्रदेश सरकार की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने नोटिस जारी किया है. हालांकि, कोर्ट ने फिलहाल यथास्थिति बनाए रखने के लिए कहा है. यानी हिमाचल हाई कोर्ट की तरफ से पद से हटाए गए मुख्य संसदीय सचिव अभी काम नहीं कर सकेंगे, न ही इन पदों पर राज्य सरकार नई नियुक्ति कर सकेगी.
हाई कोर्ट ने सीपीएस एक्ट, 2006 को अवैध करार दिया था. हाई कोर्ट ने सभी 6 सीपीएस को पद से हटा दिया था. साथ ही, इस पद पर नियुक्त विधायकों पर अयोग्यता का मामला चलाने का निर्देश दिया था. इसके खिलाफ हिमाचल की सुखविंदर सुक्खू सरकार सुप्रीम कोर्ट पहुंची थी.
चीफ जस्टिस संजीव खन्ना की अध्यक्षता वाली 2 जजों की बेंच ने हिमाचल सरकार की याचिका को सुनवाई के लिए स्वीकार कर लिया. कोर्ट ने प्रतिवादी पक्ष को नोटिस जारी कर 2 सप्ताह में जवाब देने को कहा. कोर्ट ने कहा है कि वह जनवरी में मामले पर सुनवाई करेगा. साथ ही, कोर्ट ने हिमाचल के मामले को छत्तीसगढ़, पश्चिम बंगाल और पंजाब के पहले से लंबित मिलते-जुलते मामलों के साथ जोड़ दिया है.
सुप्रीम कोर्ट ने फिलहाल हिमाचल मुख्य संसदीय सचिव मामले में यथास्थिति बनाए रखने कहा है. इसका असर यह होगा कि संसदीय सचिव बनाए गए 6 कांग्रेस विधायक फिलहाल इस पद पर काम नहीं कर सकेंगे. लेकिन फिलहाल उन पर बतौर विधायक अयोग्यता का केस नहीं चलेगा.
हिमाचल हाईकोर्ट के फैसले के बाद 6 सीपीएस दून से राम कुमार चौधरी, रोहड़ू से मोहन लाल ब्राक्टा, अर्की से संजय अवस्थी, पालमपुर से आशीष बुटेल, कुल्लू से सुंदर सिंह ठाकुर और बैजनाथ से किशोरी लाल संसदीय सचिव का पद छोड़ना पड़ा. हिमाचल सरकार ने अपनी याचिकाओं में दलील दी थी कि जनहित के कार्यों के लिए सीपीएस नियुक्त किए गए थे. साथ ही बताया कि मुख्य संसदीय सचिव और संसदीय सचिव के पद 70 वर्षों से भारत में और 18 सालों से हिमाचल में हैं.