अमेठीः तिलहन की खेती को बढावा दें किसान और वैज्ञानिक

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विधान केसरी समाचार

अमेठी। देश में दलहन और तिलहन का उत्पादन पर्याप्त मात्रा में नहीं होता है। जिसके चलते हमें विदेशों से इसे आयात करना पड़ता है । कृषि वैज्ञानिकों और किसानों की जिम्मेदारी है कि तिलहन की खेती अधिक क्षेत्रफल में करें। वैज्ञानिक धान और गेहूं की तर्ज पर तिलहन में अधिक उत्पादन देने वाली प्रजातियों को विकसित करें। यह बातें कृषि विजयन केंद्र की पादप प्रजनन वैज्ञानिक डॉक्टर अर्चना देवी ने ओंकार सेवा संस्थान द्वारा आयोजित गोयन किसान प्रोड्यूसर कंपनी पदाधिकारियों के प्रशिक्षण कार्यकम में कही । रविवार को सिंहपुर विकास खंड में तिलहन पर आधारित एफपीओ का गठन किया गया। जिसके मुख्य कार्यकारी अधिकारी और निदेशक मंडल के सदस्यों का प्रशिक्षण कार्यक्रम कृषि विज्ञान केंद्र कठोरा में संपन्न हुआ। कृषि विज्ञान केंद्र के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉक्टर अशोक सिंह ने किसानों को तिलहनी फसलों की उन्नति खेती के बारे में जानकारी देते हुए कहा कि बाजार में मिलावटी तेलों की भरमार है। जिसके कारण लोग गंभीर बीमारी की चपेट में आ रहे हैं। ऐसे में हमें कम से कम अपने खाने भर के लिए तिलहन अवश्य पैदा करना चाहिए।

डॉक्टर अशोक सिंह ने आए हुए सभी किसानों को त् भ् 725 प्रजाति का राई बीज प्रतिभागी किसानों को प्रदान किया । कार्यक्रम समन्वयक सूर्य कुमार त्रिपाठी ने कहा कि केंद्र और प्रदेश सरकार की कृषि से संबंधित अधिकांश योजनाओं को प्राथमिकता के आधार पर लाभ प्रदान किया जा रहा है। ऐसे में अधिक से अधिक किसान एफपीओ से जुड़कर लाभ प्राप्त कर सकते हैं। प्रधान मंत्री के आवाहन पर पूरे देश में दस हजार एफपीओ का गठन किया जा रहा है। कार्यक्रम को कृषि विज्ञान केंद्र के वैज्ञानिक डॉक्टर ओपी सिंह, डॉक्टर पीके सिंह, डॉक्टर रेणु सिंह, डॉक्टर देवेश पाठक ने संबोधित किया । समापन सत्र में सद्दाम हुसैन,खलील अहमद, नारायण कुमार, देवेश गुप्ता, शशि शेखर त्रिपाठी, रामावती, इंद्र कुमारी सहित बड़ी संख्या में प्रगतिशील कृषक और एफपीओ के पदाधिकारी उपस्थित रहे ।