प्रतापगढः प्रदेश सरकार के प्रोत्साहन से प्रदेश के निर्यात में हुई अभूतपूर्व वृद्धि
विधान केसरी समाचार
प्रतापगढ़। उत्तर प्रदेश महाराष्ट्र एवं तमिलनाडु के बाद देश की तीसरी सबसे बड़ी राज्य अर्थव्यवस्था है। अन्य विकसित प्रदेशों की भांति उत्तर प्रदेश के आर्थिक विकास में निर्यात का महत्वपूर्ण योगदान है। प्रदेश में निर्यात संवर्धन हेतु किये जा रहे निरन्तर प्रोत्साहनात्मक प्रयासां एवं निर्मित निर्यात सम्बन्धी संरचनात्मक वातावरण के फलस्वरूप उत्तर प्रदेश से होने वाले निर्यात में वर्ष 2017-18 की तुलना में लगभग 28 प्रतिशत की वृद्धि दर प्राप्त करते हुए वर्ष 2018-19 में रूपये 1,14.057 करोड़ का निर्यात किया गया है जो इसी अवधि में राष्ट्रीय निर्यात वृद्धि दर की तुलना में 10 प्रतिशत अधिक रहा है। देश से हो रहे निर्यात में प्रदेश की भागीदारी लगभग 5 प्रतिशत हो गयी है। वित्तीय वर्ष 2021-22 में प्रदेश के निर्यात में विगत वर्ष 2020-21 की तुलना में 30 प्रतिशत की उल्लेखनीय वृद्धि हुई है। वित्तीय वर्ष 2022-23 में प्रदेश से रूपये 174037 करोड़ मूल्य का निर्यात हुआ जो गत् वर्ष 2021-22 की तुलना में 16.5 प्रतिशत की उल्लेखनीय वृद्धि हुई है। वित्तीय वर्ष 2023-24 में प्रदेश के निर्यात में गत की वर्ष तुलना में 10 प्रतिशत की उल्लेखनीय वृद्धि हुई है। प्रदेश से रेडीमेड गारमेंट्स, लेदर फुटवियर, गोल्ड ज्वेलरी, आयरन, स्टील उत्पाद, कारपेट, एल्युमीनियम उत्पाद, फिनिश्ड लेदर, हैण्डीक्राफ्ट खाद्यान्न वस्तुऐ आदि उत्पादों को मुख्य रूप से यूएसए, यूएई, वियतनाम, यूके, नेपाल, जर्मनी, चीन आदि देशों को अपने उत्पाद निर्यात किये जा रहे है।
निर्यात प्रोत्साहन ब्यूरो द्वारा संचालित की जा रही विभिन्न योजनाओं के अन्तर्गत प्रोत्साहनध्सुविधा प्राप्त करने हेतु ब्यूरो में पंजीयन की व्यवस्था की गयी है तथा पंजीकरण की सम्पूर्ण प्रक्रिया वर्ष 2014-15 से ऑनलाइन की जा चुकी है। प्रदेश में अद्यतन 3157 निर्यातक इकाईयों द्वारा ऑनलाइन पंजीयन कराया गया है। प्रदेश के निर्यातकों को विभिन्न सरकारी विभागों में उनके कार्य में वरीयताध्प्राथमिकता एवं यथोचित सम्मान तथा विभिन्न सरकारी कार्यालयों में बिना प्रवेश पत्र के प्रवेश की सुविधा प्रदान करने के उद्देश्य से गोल्ड कार्ड एवं सिल्वर कार्ड जारी किये जाने की व्यवस्था है। इस योजना के अन्तर्गत एक वर्ष में रूपये 50.00 लाख से अधिक टर्न ओवर करने वाली निर्यातक इकाईयों को गोल्ड कार्ड एवं रूपये 20.00 लाख से अधिक टर्न ओवर करने वाली निर्यातक इकाईयों को सिल्वर कार्ड जारी किये जाने की व्यवस्था की गयी है। प्रदेश में अद्यतन 745 इकाईयों को गोल्ड कार्ड एवं 63 इकाईयों को सिल्वर कार्ड से सम्मानित किया गया।
योजनाओं का सरलीकरण एवं उपादान राशि में वृद्धि-प्रदेश सरकार द्वारा संचालित त्वरित निर्यात विकास प्रोत्साहन योजना के अंतर्गत प्रदान जाने वाली सुविधाओं को समयानुकूल एवं युक्तिसंगत बनाये जाने के प्रावधान के अनुपालन में संदर्भित योजना के दिनांक 13 मई, 2022 को जारी नवीनतम शासनादेश के माध्यम से उपयोजनाओं में संशोधन किया गया है। अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर निर्यातकों को विपणन विकास सहायता योजनान्तर्गत प्रदेश के सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्योग क्षेत्र के निर्यातकों को विदेशी मेलाध्प्रदर्शनी में भाग लेने पर स्टाल चार्जेज पर रूपये 02 लाख तथा हवाई यात्रा पर रूपये 1.00 लाख की गयी है। प्रचार प्रसार, कैटेलाग, विज्ञापन, वेबसाइट इत्यादि को तैयार करने पर हुए व्यय पर अनुमन्य सहायता राशि 0.60 लाख से बढ़ाकर रूपये 0.75 लाख प्रति निर्यातक प्रति वर्ष की गयी। विदेशी क्रेताओं को नमूनों के प्रेषण में हुए व्यय पर अनुमन्य सहायता राशि में वृद्धि करते हुए रूपये 0.50 लाख से अधिकतम रुपये 1.00 लाख प्रति निर्यातक प्रति वर्ष की गयी। गुणवत्ता नियंत्रण योजनान्तर्गत आई०एस०ओ० एवं बी.आई.एस की विभिन्न श्रेणियों यथा-ऊनी उत्पादों के लिए वूलमार्क, स्वर्णाभूषण के लिए हाल मार्क, फूड सेफ्टी के लिए एच.ए.सी. सी.पी. एवं विद्युत उपकरणों के लिए सी0 मार्क आदि के प्रमाणीकरण हेतु किये गये व्यय पर अनुमन्य सहायता राशि रूपये 0.75 लाख को बढ़ाकर रूपये 2.00 लाख प्रति निर्यातक प्रति वर्ष की गयी। विदेशों में ट्रेड फेयर बायर सेलर मीट इत्यादि के आयोजन पर आयोजक संस्था को व्यय का 90 प्रतिशत अथवा रुपये 0.75 लाख तक की सहायता उपलब्ध कराने का प्रावधान किया गया है। देश में आयोजित किए जाने वाले अन्तर्राष्ट्रीय स्तर के व्यापार मेलों हेतु आयोजक संस्था को कुल व्यय का 75 प्रतिशत अधिकतम रुपये 0.50 लाख की धनराशि का प्रावधान किया गया है। वर्चुअल ट्रेड फेयर के आयोजन पर भी रुपये 0.25 लाख तक की सहायता धनराशि का प्रावधान किया गया है। प्रदेश सरकार द्वारा अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर निर्यातको को विपणन विकास सहायता योजनार्न्तगत वर्ष 2018-19 से वर्ष 2023-24 तक धनराशि रूपये 3112.29 लाख की सहायता देते हुए 3661 इकाईयों को लाभान्वित किया जा चुका है।