सुशासन की पहली शर्त होती है कानून का राज-योगी सरकार
सुप्रीम कोर्ट ने राज्यों में चल रहे बुलडोजर एक्शन को मनमाना करार देते हुए रोक लगा दी है. 95 पन्नों के फैसले पर सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया है कि बिना कारण बताओ नोटिस के कोई भी घर नहीं गिराया जा सकेगा. बुलडोजर एक्शन का सबसे ज्यादा इस्तेमाल यूपी में हुआ. कई मौकों पर बुलडोजर जमकर गरजे. कुछ मामले में कोर्ट पहुंचे तो कुछ मामलों में अतिक्रमण के खिलाफ कार्रवाई की गई. हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने जो फैसला दिया है वह मूल रूप से दिल्ली से संबंधित था और इसमें यूपी सरकार पार्टी नहीं थी. केस जमीयत उलेमा-ए-हिन्द बनाम उत्तरी दिल्ली नगर निगम व अन्य से संबंधित था.
अब सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर योगी सरकार की पहली प्रतिक्रिया आई है. योगी सरकार की ओर से कहा गया है कि सुशासन की पहली शर्त होती है कानून का राज. इस दृष्टि से सर्वोच्च न्यायालय द्वारा आज दिया गया फैसला स्वागत योग्य है. इस फैसले से अपराधियों के मन में कानून का भय होगा.
सरकार ने इस फैसले पर कहा कि इस फैसले से माफिया प्रवृति के तत्व यह संगठित पेशेवर अपराधियों पर लगाम कसने में आसानी होगी. कानून का राज सब पर लागू होता है. यद्यपि यह आदेश दिल्ली के संदर्भ में था, उत्तर प्रदेश सरकार इसमें पार्टी नहीं थी.
उधर उत्तर प्रदेश सरकार पर निशाना साधते हुए आजाद समाज पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष और नगीना सांसद चंद्रशेखर आजाद कहा कि यह उत्तर प्रदेश की बीजेपी सरकार के मुंह पर तमाचा है. उन्होंने कहा, “आप दोष साबित हुए बिना या अदालत के आदेश के बिना आप किसी घर नहीं तोड़ सकते हैं.”
बता दें, बुधवार को सुप्रीम कोर्ट ने एक अहम फैसला सुनाते हुए बुलडोजर कार्रवाई को असंवैधानिक बताया है. अपने आदेश में कोर्ट ने कहा कि किसी भी व्यक्ति का घर सिर्फ इसलिए नहीं गिराया जा सकता है कि उस पर कोई आरोप लगे हैं.
सुप्रीम कोर्ट की जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस केवी विश्वनाथन की पीठ ने अपने फैसले में कहा कि पहले से बगैर कारण बताओ नोटिस के कोई भी तोड़फोड़ नहीं जानी चाहिए और इस डिमोलिशन के आदेश के खिलाफ अपील करने के लिए वादी को पर्याप्त समय दिया जाना चाहिए.
इस फैसले में पीठ ने कहा कि किसी का घर उसकी उम्मीद होती है और इंसान का सपना होता है कि उसका आश्रय कभी न छिने. कोर्ट ने कहा कि किसी व्यक्ति का घर सिर्फ इसलिए नहीं गिराया जा सकता है कि क्योंकि उस पर किसी अपराध को करने का आरोप है. जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस केवी विश्वनाथन की पीठ ने कहा कि संबंधित व्यक्ति के खिलाफ फैसला सिर्फ न्यायपालिका ही करेगी.
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इस मामले में सभी पक्षों सुनने के बाद ही हम आदेश जारी कर रहे है. कोर्ट ने कहा कि हमने संविधान के तहत गारंटीकृत अधिकारों पर विचार किया है. यह सभी लोगों को राज्य की मनमानी कार्रवाई से सुरक्षा प्रदान करता है. सत्ता को मनमाने प्रयोग की इजाजत नहीं दी जा सकती है.