अर्थशास्त्री बिबेक देबरॉय के आकस्मिक निधन
प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद के अध्यक्ष बिबेक देबरॉय का आकस्मिक निधन हो गया. 69 वर्षीय देबरॉय ने अपनी बुद्धिमता और विद्वता से न केवल नीति निर्माण में महत्वपूर्ण योगदान दिया बल्कि भारतीय संस्कृति और प्राचीन ग्रंथों के प्रति अपने प्रेम के लिए भी जाने जाते थे. उनके निधन पर राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने शोक व्यक्त करते हुए कहा कि भारत ने एक प्रख्यात बुद्धिजीवी को खो दिया है जिनका योगदान समाज के विभिन्न क्षेत्रों में था.
पीएम नरेंद्र मोदी ने अपने सोशल मीडिया पोस्ट में देबरॉय को एक प्रखर विद्वान के रूप में याद किया. जिन्होंने भारत के बौद्धिक परिदृश्य पर अमिट छाप छोड़ी. केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने भी उनके निधन पर दुख प्रकट करते हुए उनकी बहुमुखी प्रतिभा को सराहा. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि देबरॉय ने नीति निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई और प्राचीन ग्रंथों के अनुवाद में माहिर थे. सभी नेताओं ने उनके योगदान को याद करते हुए उनके परिवार के प्रति संवेदनाएं व्यक्त की.
डॉ. बिबेक देबरॉय की विदाई ने न केवल राजनीतिक बल्कि सांस्कृतिक क्षेत्र में भी एक गहरी छाप छोड़ी है. विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने उनके शासन और नीति निर्माण में योगदान को महत्वपूर्ण बताया, जबकि असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने उनकी संस्कृति के प्रति लगाव को सराहा. बिबेक देबरॉय ने अपनी जिंदगी का एक महत्वपूर्ण हिस्सा भारत की संस्कृति और महाकाव्यों को जन जन तक पहुंचाने में लगाया.
बिबेक देबरॉय का निधन एक सच्चे विद्वान की विदाई है जिन्होंने भारत की पहचान और संस्कृति को समृद्ध बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. उनकी अनमोल धरोहर और ज्ञान आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा का स्रोत बनेगा. देश उन्हें हमेशा याद रखेगा, और उनकी अद्वितीय सोच और दृष्टिकोण का प्रभाव भारतीय राजनीति और संस्कृति पर बना रहेगा.