किसी खास धर्म के लिए नहीं हो सकता अलग कानून-सुप्रीम कोर्ट

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संपत्तियों के ध्वस्तीकरण यानी बुलडोजर की कार्रवाई पर आज सुप्रीम कोर्ट में अहम सुनवाई। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि वह संपत्तियों के ध्वस्तीकरण के मुद्दे पर न केवल किसी खास समुदाय बल्कि सभी नागरिकों के लिए गाइडलाइन जारी की जाएगी। कोर्ट ने कहा कि उसकी गाइडलाइन पूरे भारत में लागू होगी। इसके साथ ही कोर्ट ने कहा कि वह यह स्पष्ट कर रहा है कि किसी व्यक्ति का महज आरोपी या दोषी होना संपत्ति के ध्वस्तीकरण का आधार नहीं हो सकता है।

सुप्रीम कोर्ट के जज बीआर गवई और जज केवी विश्वनाथन की पीठ ने इस मामले में अहम टिप्पणी की है। पीठ ने कहा, ‘हम जो कुछ भी तय कर रहे हैं, हमारा एक धर्मनिरपेक्ष देश है। हम सभी नागरिकों, सभी संस्थानों के लिए इसे जारी कर रहे हैं न कि किसी खास समुदाय के लिए।’

पीठ ने कहा कि किसी खास धर्म के लिए अलग कानून नहीं हो सकता है। उसने कहा कि वह सार्वजनिक सड़कों, सरकारी जमीनों या जंगलों में किसी भी अनधिकृत निर्माण को संरक्षण नहीं देगा। कोर्ट ने कहा, ‘हम यह सुनिश्चित करने का प्रयास करेंगे कि हमारे आदेश से किसी भी सार्वजनिक स्थान पर अतिक्रमण करने वालों को मदद न मिले।’

बता दें कि इस मामले की सुनवाई अभी जारी है। सुप्रीम कोर्ट उन याचिकाओं पर सुनवाई कर रहा है, जिनमें आरोप लगाया गया कि कई राज्यों में आरोपियों की संपत्ति समेत अन्य संपत्तियां ध्वस्त की जा रही हैं। कोर्ट ने 17 सितंबर को कहा था कि उसकी अनुमति के बगैर 1 अक्टूबर तक आरोपियों समेत अन्य लोगों की संपत्तियों को नहीं गिराया जाएगा।

तब सुप्रीम कोर्ट की पीठ ने ये भी कहा था कि अगर अवैध रूप से ध्वस्तीकरण का एक भी मामला है तो यह हमारे संविधान के ‘मूल्यों’ के खिलाफ है। कोर्ट ने स्पष्ट किया था कि उसका आदेश सड़कों, फुटपाथ, रेलवे लाइन या तालाबों जैसे सार्वजनिक स्थानों पर बने अनधिकृत ढांचों पर लागू नहीं होगा। साथ ही उन मामलों पर भी लागू नहीं होगा जिनमें कोर्ट ने ध्वस्तीकरण का ऑर्डर दिया है।