श्रावस्तीः विधान केसरी खासः अपने कार्याे से मनुष्य से ज्यादा पशु दिखाई दे रहा श्रेष्ठ
विधान केसरी समाचार
श्रावस्ती। आधुनिकता की चकाचैंध व पश्चिमी देशों की संस्कृति का अनुशरण कर अपने कार्यव्यवहार शैली से मनुष्य से अच्छा पशु श्रेष्ठ दिखाई पड़ रहा है। गाय, बैल, भैंस, बकरी, घोड़ा, बन्दर आदि पशु गोमती, गुटखा पुकार नही खाते शराब नहीं पीते बलात्कार नही करते गैंगरेप नहीं करते केवल पेट भरने के लिए ही चोरी करते हैं मनुष्य अपने सुखों की पूर्ति के लिए चोरी डकैती हत्या जैसे घिनौना अपराध करना आम बात समझ बैठा है। छोटी श्रेणी का आदमी दूध वाला दूध में पानी यूरिया मिलाता है मैदा सहित न जाने क्या मिलाकर लोगों को धोखा दे रहा है यही काम व्यापारी अनाज में कंकड़ धनिया में घोड़े की लीद हल्दी में पीसी ईंट जैसे न जाने क्या मिलावट कर व्यापार करते हुए पैसे वाला हो जाता है फिर गांवो से राजनीति शुरू कर प्रधान बन जाता फिर विधायक बनता है लोगों को डरा धमकाकर समाज सेवा का नाटक दिखाते हुए सांसद व उच्चअधिकारी के कुर्सी तक पहुंच जाता है जिसमें गरीबों के घरों जमीनों पर अनाधिकृत कब्जा कर लेता है गरीबों के घर उजाड़ देता है उनपर अनेक अत्याचार करता है सारी इच्छाओं की पूर्ति के लिए वह क्या नहीं करता ईश्वर ने उसे सभी प्राणियों से श्रेष्ठ बनाया है विवेक दी है दुनिया के सारी दुख वैभव मनुष्य को दी है और मुनष्य उसका दुरूपयोग करता हुआ ईश्वर को भी नकार कर नास्तिक बन जाते हैं। मां-बाप तथा ईश्वर को मानता ही नहीं वह रे भगवान तू भी कैसा है तेरे हाथों का बनाया मिट्टी का यह पुतला तुझे ही न समझ समझ रहा है। ईश्वर ने मनुष्य को हाथ दिये हैं जबकि किसी अन्य प्राणी के हाथ नहीं होते हाथ देकर ईश्वर ने सोचा कि आदमी इन हाथों से अच्छा काम करेगा दान देगा दूसरों की सहायता करेगा रक्षा करेगा परन्तु मनुष्य ईश्वर की बात न मानकर अपनी मनमानी कर रहा है तो इसका परिणाम उसे भुगताना ही होगा। मनुष्य ने विज्ञान के द्वारा अतिआधुनिक उपकरण बनाकर विश्व को आगे बढ़ाने का काम किया उसने बदले की भावना लेकर न जाने कितने विश्व विध्वंसक हथियार बना डाले जिससे सारी दुनिया के लिए खतरा उत्पन्न हो गया हैं। पशु का काम पेट की भूख मिटाना मलमूत्र त्याग करना तथा मैथिुन यही तीन काम करता है। आज का इन्सान अपने स्वार्थाे में लिप्त होकर यही काम कर रहा है जिससे पशु और मनुष्य का फर्क समाप्त हो चुका है चारो ओर से मानो ही मानवता का दुश्मन दिखाई पड़ रहा है मनुष्य ने नीचता की सारी हदें पार कर पशुओं से भी नीचे पहुंच चुका है इसीलिए यह मानने को अब शेष नहीं रह गया कि मनुष्य से अच्छा आज का पशु है। भले ही उसकी भाषा हम समझ नहीं सकते परन्तु वह हमारे भाषा हमारे संकेतो को समझता हुआ मनुष्य की सेवा में अपना सारा जीवन अर्पित कर देता है जिससे यह सिद्ध होता है कि मनुष्य से कहीं ज्यादा श्रेष्ठ पशु है।