अंबेडकरनगरः डीएसओ साहब! राशन की चोरी और कुंतल पीछे 25 रुपए अवैध वसूली का जिम्मेदार कौन?

 

विधान केसरी समाचार

 

अंबेडकरनगर। कई राज्यों में भाजपा के खिलाफ हुई वोटिंग में जनाधार सभी के सामने आया।आनन-फानन में उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने गरीब और मध्यमवर्गीय लोगों को राहत देने के लिए मार्च 2022 तक मुफ्त राशन 15 करोड़ यानी कि 65ः गरीबों को राशन देने का एलान किया।मगर अंबेडकर नगर जिले में जिला पूर्ति अधिकारी के संरक्षण में गरीबों की राशन वितरण व्यवस्था में गोलमाल हो रहा है सरकारी भिखारियों की कहानी सप्लाई इंस्पेक्टर द्वारा हर कोटेदार से कुंतल पीछे 25 रुपए की अवैध वसूली की जा रही है। जिसके कारण कोटेदार और भी मनमानी करने पर उतारू हो गए हैं कोटेदारों की मजबूरी है कि 5 यूनिट पर 25 किलो पर 2 किलो गरीबों के हक का राशन काटे जाते थे लेकिन अब वह तीन से चार किलो काटने पर मजबूर हैं। यह पूरा कारनामा बड़े अफसर यानी कि जिला पूर्ति अधिकारी के इशारे पर हो रहा है। पर्दे पर सामने रहने वाले राशन डीलर तो बदनाम होते हैं, लेकिन उन्हें लूट की छूट विभाग में कमीशनखोरी के जरिए दी जाती है। राशन के कोटा के आधार पर हर दुकान की कमीशन धनराशि तय की जाती है। जो हर महीने लाखों रुपये में तमाम दलालों द्वारा वसूलकर विभाग में पहुंचाई जाती है।

 

कार्डधारकों को राशन बांटने के लिए डीलरों को ब्लाकवार गोदामों से गेहूं और चावल उपलब्ध कराया जाता है। यह राशन अंत्योदय कार्ड और पात्र गृहस्थी कार्ड में दर्ज यूनिटों के हिसाब से तय होता है। यूं तो लिखा-पढ़ी में गोदामों से राशन उठान के लिए 15 रुपये प्रति कुंतल और कार्डधारकों को वितरण के लिए 70 रुपये प्रति कुंतल कमीशन राशन डीलरों को दिया जाता है, लेकिन ईमानदारी का इस कमीशन पर विभागीय भ्रष्टाचार के कमीशन का ग्रहण लग जाता है। गोदामों से राशन उठान के समय ही जहां 10 रुपये कुंतल पल्लेदारी की बात कहकर ले लिए जाते हैं। वितरण के लिए 25 रुपये कुंतल वसूल किए जाते हैं। इस घाटे की भरपाई और मुनाफा कमाने के लिए डीलर भी हेराफेरी करते हैं।जो विभाग में अलग-अलग पदों के हिसाब से बंट जाते हैं। सबसे बड़ी भूमिका क्षेत्रीय खाद्य निरीक्षकों की रहती है।

 

हिस्सेदारी नहीं तो कार्रवाई कमीशनखोरी का पूरा चक्र व्यवस्थित तरीके से चलता है। इस सिस्टम से हटकर जो डीलर काम करना चाहता है, उसे कार्रवाई के फंदे में फंसा दिया जाता है। दबी जुबान डीलर बताते हैं कि मांगा गया कमीशन दलालों को न देने पर खाद्य निरीक्षकों ने कई दुकानदारों पर कार्रवाई की है। इसमें जुर्माना, निलंबन और निरस्तीकरण तक शामिल है। यह भी बताते हैं कि कमीशनखोरी का सिस्टम इतना मजबूत है कि कई शिकायतों के बावजूद आज तक किसी अधिकारी-कर्मचारी तो दूर, एक दलाल तक पर कार्रवाई नहीं हुई।