कब है भगवान शिव को प्रसन्न करने वाला प्रदोष व्रत, जानें तिथि
हर माह की त्रयोदशी के दिन भगवान शिव के प्रसन्न करने के लिए प्रदोष व्रत रखा जाता है. हर माह में दो प्रदोष व्रत रखे जाते हैं. कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी के दिन भी प्रदोष व्रत रखा जाएगा. इस बार 16 नवंबर को प्रदोष व्रत पड़ रहा है. इस दिन मंगलवार होने के कारण इसे भौम प्रदोष व्रत कहेंगे. मान्यता है कि प्रदोष व्रत भगवान शिव को अत्यंत प्रिय है, इसलिए भक्त भगवान शिव को प्रदोष व्रत रखकर प्रसन्न कर अपने संकट दूर करने की प्रार्थना करते हैं.
मान्यता है कि त्रयोदशी के दिन प्रदोष व्रत रखने से सभी पापों का नाश होता है और भक्तों के सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं. भौम प्रदोष व्रत होने के कारण इस दिन भगवान शिव के साथ-साथ हनुमान जी का भी आशीर्वाद मिलता है. इस दिन विधिवत्त तरीके से व्रत रखने से भगवान शिव जल्दी प्रसन्न होते हैं और भक्तों पर कृपा बरसाते हैं. साथ ही, भक्तों के सभी कष्टों का नाश होता है.
भौम प्रदोष व्रत तिथि
कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी 16 नंवबर, मगंलवार को है.
- भौम प्रदोष व्रत तिथि प्रारम्भ – 16 नवंबर, प्रातः 10 बजकर 31 मिनट से शुरू होकर
- भौम प्रदोष व्रत तिथि समाप्त – 17 नवंबर, दोपहर 12 बजकर 20 मिनट पर समापन होगा
प्रदोष व्रत का पूजा मुहूर्त
मान्यता है कि भौम प्रदोष व्रत में प्रदोष काल में ही पूजा करना शुभ माना जाता है. 16 नवंबर को पड़ रहे प्रदोष व्रत की पूजा का सही समय शाम 6 बजकर 55 मिनट से लेकर 8 बजकर 57 मिनट तक है.
भौम प्रदोष का महत्व
धार्मिक मान्यता है कि प्रदोष व्रत से भगवान शिव शीघ्र प्रसन्न हो जाते हैं. अतः भगवान शिव की पूजा करने का यह उत्तम समय होता है. कहते हैं कि चतुर्मास में भगवान विष्णु पाताल लोक में विश्राम अवस्था में होते हैं और उनका ये कार्यभार शिव जी संभालते हैं. इसलिए चतुर्मास में शिव पूजा का महत्व और अधिक बढ़ जाता है. ज्येष्ठ मास के प्रदोष व्रत को महत्वपूर्ण माना गया है. इस मास में भगवान शिव का अभिषेक का विशेष महत्व है. शुक्ल पक्ष के प्रदोष व्रत में गंगाजल और सामान्य जल के साथ दूध भगवान शिव पर चढ़ाया जाना शुभ फलदायी माना जाता है.