चुनावी बिसात या गरीबों की बात

 

 

वर्तमान में देश व प्रदेश में सरकार चला रही भारतीय जनता पार्टी भले ही अब तक के कार्यकाल में लाख बार सबके भले की बात करें लेकिन वर्तमान में चुनाव मैदान में उतरी भाजपा की चुनावी बिसात देखकर साफ हो गया है कि गरीबों की बात करना चुनावी बिसात के अलावा कुछ नहीं है। यह सोलह आने सच है कि वर्तमान सरकार राष्ट्र हित की बात करने में पीछे नहीं हैं इसके बावजूद मैं पूछना चाहता हूं सरकार के लंबरदारों से कि बिना सामाजिक विकास किए क्या राष्ट्र हित की बात परवान चढ़ सकती है। मुझे याद है वह दिन जब मोदी जी हों या योगी जी बढ़ते करप्शन महंगी गैस पैट्रोल डीजल को लेकर पूर्व सरकार का विरोध कर खुद की सरकार आने पर सबका साथ सबका विकास का दावा करते थे लेकिन सरकार बनाने के बाद कभी किसी ने अपने मन मंदिर में झांक कर देखा है की बढ़ती महंगाई व प्राइवेटाइजेशन के चलते क्या सबके साथ सबके विकास का दावा सच साबित हो सकता है मैं दावे के साथ कह सकता हूं कि वर्तमान सरकार से जो अपेक्षाएं लोगों ने की थी उस पर किसी तरह से खरी नहीं उतरी है यह सच है कि देश के प्रत्येक व्यक्ति के मन में राष्ट्रवाद का नारा हिलोरे मारना चाहिए लेकिन क्या भूखे पेट यह सब संभव किया जा सकता है। मैं पूछना चाहता हूं देश के प्रधानमंत्री आदरणीय नरेंद्र मोदी जी व उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अथवा उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य से कि क्या वे सच्चे मन से यह बात स्वीकार कर सकते हैं कि उनकी सरकार में किसी एक भी गरीब का हित ध्यान में रखा गया है अब उत्तर प्रदेश में चुनाव आने वाले हैं जिसको देखकर भारतीय जनता पार्टी के नेता सामाजिक सम्मेलनों का नाम देकर जातिगत कार्यक्रम का आयोजन कर रहे हैं जो न सिर्फ उनको भाजपाई रंग में रंग देना चाहते हैं बल्कि यह भी संदेश देने का प्रयास कर रहे हैं कि हमारी सरकार के अलावा गरीब का कोई हितैषी नहीं है और भले ही खुले आम प्रशंसा करने वालों को भाजपा नेता कितना भी सम्मान दे लेकिन सही बात न कहने वाले सबसे बड़ दुश्मन से कम नहीं है । मैं यह भी दावे के साथ कह सकता हूं कि जितने भी कार्यक्रम हुए किसी में भी जिम्मेदार लोगों ने यह नहीं कहा कि आप लोगों को भी राजनीतिक शैक्षिक व शासकीय सम्मान जो अब तक नहीं मिला है भविष्य में इस बात का ध्यान रखा जाएगा। मुझे वह दिन भी याद है जब बीते साल उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने प्रत्येक जातीय सम्मेलन में साफ-साफ कहा था कि उनका मंत्रालय पिछड़ों अति पिछड़ों के साथ-साथ सभी वर्ग के महापुरुषों के नाम पर सड़क व पुलों का नामकरण करेगा लेकिन आपकी सरकार सामाजिक महापुरुषों के नाम पर भी संवेदनशील दिखाई नहीं दी।और अब वर्तमान सरकार के सामाजिक सम्मेलन समाप्त होने को है लेकिन आज तक सड़कों व पुलों का नामकरण महापुरुषों के नाम से नहीं हो सका।जबकि कोई भाजपाई कितना भी लोकप्रिय बनता रहें सवा तीन सो सीट जिताने का श्रेय केशव प्रसाद मौर्य को जाता है। मुझे वह दिन भी याद है जब उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री श्री केशव प्रसाद मौर्य ने सामाजिक न्याय समिति की रिपोर्ट लागू करने का वायदा किया था जो आज तक पूरा नहीं हो सका, और तो और सामाजिक न्याय समिति की रिपोर्ट लागू ना करने के कारण 2017 के विधान सभा चुनाव व 2019 के लोकसभा चुनाव में भाजपा के साथ कंधे से कंधा मिलाकर चलने वाले ओमप्रकाश राजभर भी अलग हो गए। लेकिन सामाजिक न्याय समिति की रिपोर्ट लागू नहीं हो सकी। इसके बावजूद आपने फिर नारा दे दिया कि सौ में साठ हमारा है बाकि में बटवारा है उसमें भी आधा हमारा है। हालांकि मैं इस बात को भी स्वीकार करता हूं कि आजादी के बाद से संवैधानिक दर्जे के लिए तड़प रहे राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग को संवैधानिक दर्जा देने का काम मोदी सरकार ने किया जिसकी मै भी प्रशंसा करता हूं लेकिन यह भी ईश्वर को हाजिर नाजिर जानकर पूछना चाहता हूं कि क्या संवैधानिक दर्जा मिलने के बाद राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग बिना संवैधानिक दर्जे वाले आयोग से चार कदम भी आगे चल सका । मुझे यह भी कहने में कोई संकोच नहीं है कि भाजपा में आज कोई सच बात बोलने को तैयार नहीं है और न ही अपनी कार्यशैली पर पछतावा करने को तैयार हैं। इसलिए भले ही आप लोग भी अन्य दलों या सरकारों की तरह अपने मियां मुंह मिठ्ठू बनकर सरकार में वापसी का ताना-बाना बुनते रहे लेकिन मैं दावे के साथ कह सकता हूं वर्तमान में आप लोगों के हालात बहुत अच्छे नहीं हैं।

और यदि सामाजिक न्याय समिति सहित रोजी-रोटी रोजगार आदि अन्य काम गरीब हित के काम कर देते हैं तो हालातों में बदलाव हो सकता है।

 

 

विनेश ठाकुर, सम्पादक
विधान केसरी, लखनऊ