हम मूकदर्शक बनकर नहीं बैठ सकते-सुप्रीम कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट ने पेगासस मामले की जांच के लिए 3 सदस्यीय तकनीकी कमिटी का गठन किया है. इस कमिटी की निगरानी सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज जस्टिस आर वी रवींद्रन करेंगे. कोर्ट ने अपने फैसले में इस मामले में केंद्र सरकार के रवैये पर असंतोष जताया है. कोर्ट ने कहा है कि सरकार ने न तो आरोपों का पूरी तरह खंडन किया, न विस्तृत जवाब दाखिल किया. अगर अवैध तरीके से जासूसी हुई है तो यह निजता और अभिव्यक्ति जैसे मौलिक अधिकारों का हनन है. जब मामला लोगों के मौलिक अधिकारों से जुड़ा हो तो कोर्ट मूकदर्शक बन कर नहीं बैठा रह सकता.
चीफ जस्टिस एन वी रमना , जस्टिस सूर्यकांत और हिमा कोहली ने 13 सितंबर को मामले पर आदेश सुरक्षित रखा था. वरिष्ठ पत्रकार एन राम, पूर्व केंद्रीय मंत्री यशवंत सिन्हा, सीपीएम सांसद जॉन ब्रिटास समेत 15 याचिकाकर्ताओं ने कोर्ट की निगरानी में जांच की मांग की थी. सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार ने राष्ट्रीय सुरक्षा का मसला बताते हुए विस्तृत जवाब दाखिल करने से मना कर दिया. सरकार ने अपनी तरफ से विशेषज्ञ कमिटी बनाने का प्रस्ताव दिया. इसे कोर्ट ने ठुकरा दिया है.
सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि देश की सुरक्षा के लिए संदिग्ध लोगों की निगरानी मान्य है. लेकिन यह निगरानी कानूनसम्मत तरीके से ही होनी चाहिए. अवैध तरीके से जासूसी गलत है। 3 जजों की बेंच ने फैसले में माना है कि सवाल सिर्फ कुछ लोगों की निजता का ही नहीं है, इस तरह की अवैध जासूसी प्रेस की स्वतंत्रता को भी प्रभावित कर सकती है. जिसका हर नागरिक पर विपरीत असर पड़ेगा.
कोर्ट ने इन 3 तकनीकी विशेषज्ञों की कमिटी बनाई है :-
1. डॉ नवीन कुमार चौधरी (डीन, नेशनल फोरेंसिक साइंस कमिटी, गांधीनगर)
2. डॉ प्रभाकरन (प्रोफेसर, स्कूल ऑफ इंजीनियरिंग, अमृत विश्व विद्यापीठम, केरल)
3. डॉ अश्विन अनिल गुमस्ते (एसोसिएट प्रोफेसर, IIT बॉम्बे)
इस कमिटी के कामकाज की निगरानी रिटायर्ड सुप्रीम कोर्ट जज जस्टिस आर वी रवींद्रन करेंगे. पूर्व आईपीएस आलोक जोशी और तकनीकी जानकर संदीप ओबराय उनकी सहायता करेंगे। तकनीकी विशेषज्ञ कमिटी इन पहलुओं पर रिपोर्ट देगी :-
* क्या भारत के नागरिकों के फोन या दूसरे डिवाइस में पेगासस स्पाईवेयर डाला गया?
* कौन लोग इससे पीड़ित हुए?
* 2019 में व्हाट्सऐप की हैकिंग की रिपोर्ट के बाद केंद्र ने क्या कदम उठाए?
* क्या भारत सरकार या किसी राज्य सरकार या किसी सरकारी एजेंसी ने पेगासस स्पाईवेयर हासिल किया?
* क्या किसी निजी व्यक्ति ने इसे खरीदा या इस्तेमाल किया?
कोर्ट ने कहा है कि कमिटी अपने कामकाज का तरीका खुद तय करे. जस्टिस रवींद्रन भी इस बारे में उसे सलाह देंगे. कमिटी भविष्य के लिए सुझाव भी दे. कमिटी के कामकाज का खर्च भारत सरकार उठाएगी. कोर्ट ने कमिटी को जल्द रिपोर्ट देने की कोशिश करने के लिए कहा है.मामले की अगली सुनवाई 8 हफ्ते बाद होगी. फैसले के एक हिस्से में सुप्रीम कोर्ट ने निजता का महत्व बताते हुए ब्रिटिश लेखक विलयम पिट की 1763 में लिखी यह पंक्तियां दर्ज की हैं :- “सबसे गरीब आदमी भी अपने झोपड़े का स्वामी है. उसकी कमज़ोर छत को हवा उड़ा सकती है, उससे बारिश का पानी घुस सकता है, लेकिन इंग्लैंड के राजा उस टूटे-फूटे झोपड़े की दहलीज से अंदर नहीं आ सकता.”