भाईदूज की कैसे हुई शुरुआत, जानिए पूजा विधि और मुहूर्त

 

इस पर्व को भाऊ बीज, टिक्का, यम द्वितीय और भातृ द्वितीया भी कहा जाता है. पौराणिक कथाओं के अनुसार भाई दूज के दिन ही यमराज बहन यमुना के घर गए थे, तब से भाई दूज या यम द्वितीया मनाई जा रही है. सूर्य पुत्र यम और यमी भाई-बहन थे. यमुना के कई बार बुलाने पर एक दिन यमराज यमुना के घर पहुंचे. जहां यमुना ने यमराज को भोजन कराया और तिलक कर खुशहाल जीवन की कामना की. यमराज ने बहन से वरदान मांगने को कहा, तो यमुना ने कहा कि, आप हर वर्ष मेरे घर आया करो. इस दिन जो बहन भाई का तिलक करेगी उसे तुम्हारा भय नहीं होगा. बहन की बात से प्रसन्न यमराज ने उन्हें आशीष दे दिया.

 

भाईदूज से जुड़ी एक और पौराणिक कथा का श्रीकृष्ण से संबंध है. इसके मुताबिक भाई दूज के दिन ही भगवान श्रीकृष्ण नरकासुर राक्षस का वध कर द्वारिका लौटे थे. कृष्णजी की बहन सुभद्रा ने फल, फूल, मिठाई और अनेकों दीये जलाकर उनका स्वागत किया था. भगवान के मस्तक पर तिलक लगाकर दीर्घायु की कामना की थी.

 

बहनें भाई के लिए करती हैं ये उपाय

 

– भाई दूज के दिन भाई-बहन को एक साथ यमुना में स्नान करना शुभ माना गया है. इस दिन बहनें भाई की लंबी उम्र के लिए यम के नाम का दीपक घर के बाहर जलाती हैं. इससे अकाल मृत्यु भय दूर होता है.

 

– इस दिन बहनें यम की पूजा कर प्रार्थना करें कि हे यमराज, श्री मार्कण्डेय, हनुमान, राजा बलि, परशुराम, व्यास, विभीषण, कृपाचार्य तथा अश्वत्थामा इन आठ चिरंजीवियों की तरह मेरे भाई को भी चिरंजीवी होने का वरदान दें.

 

तिथि-शुभ मुहूर्त
इस साल भाईदूज 6 नवंबर को है. इस दिन दोपहर 1 बजकर 10 मिनट से 3 बजकर 22 मिनट तक भाइयों को टीका लगाने का सबसे शुभ समय होगा. इस तरह तिलक के लिए 2 घंटे, 12 मिनट समय मिलेगा.

 

पूजा का तरीका
इस दिन भाई का तिलक करने से पहले पूजा की थाली, फल, फूल, दीपक, अक्षत, मिठाई, सुपारी आदि सजाना लें. घी का दीया जलाकर आरती करें और शुभ मुहूर्त देखकर तिलक लगाएं. इसके बाद भाई को पान, मिठाई आदि चीज खिलाएं. वहीं भाई को बहन की रक्षा का संकल्प लेकर उपहार देना चाहिए.