कुर्सी पर बैठकर सोने वाले सावधान! एक ही झटके में जा सकती है जान

 

अक्सर देखा जाता है कि लोग काम करते-करते एक नींद की झपकी ले लेते हैं. अगर आप ऐसा करते हैं तो आपने पाया होगा कि इससे आपकी कमर में दर्द, और गर्दन या कंधों में अकड़न आ गई है.अगर ऐसा हुआ है इसके पीछे की वजह है आपका घंटों तक सिस्टम पर बैठकर काम करना है. अक्सर लोग काम करने में इतने मगन हो जाते हैं कि घंटो लॉपटॉप के सामने बैठकर काम करते रहते हैं या फिर पूरे दिन एक ही जगह पर बिना हिले बैठे रहते हैं. ऐसा करने पर आपको डीप वेन थ्रोम्बोसिस की गंभीर समस्या भी हो सकती है. आइए लंबे समय तक सिस्टम पर बैठने या डेस्क पर सोने का प्रभाव आपके शरीर पर किस तरह होता है.

हमें ही आपको अपने वर्क प्लेस पर कितनी भी आरामदायक चेयर मिले लेकिन इन घंटों तक बिना हिले-डुले रहना यो जाना आपके लिए भार पड़ सकता है. इसकी वजह से ना केवल बॉडी पोस्चर खराब होता है, बल्कि शरीर के जोड़ों में अकड़न आने लगती है. इस स्थिति में शरीर को इन समस्याओं से बचाने के लिए स्ट्रेचिंग करना एक सबसे बेहतर विकल्प हो सकता है. इसके अलावा लेट कर भी शरीर को आराम दे सकते हैं। वहीं अगर आप बैठे – बैठे ही सो जाते हैं, तो इससे शरीर में रक्त संचार भी बाधित हो सकता है. जिसकी वजह से कई अन्य समस्याएं भी पैदा हो सकती हैं.

घंटों एक ही स्थान पर बैठकर काम करने से डीप वेन थ्रोम्बोसिस की समस्या भी पैदा हो सकती है. आपको बता दें कि इस समस्या में शरीर में कहीं किसी एक नस के भीतर रक्त का थक्का बन जाता है. आमतौर पर यह पैर या जांघ में होता है. यह होने की संभावना तभी होती है जब आप घंटों तक या सिस्टम पर बैठे रहते हैं या सोने लगते हैं.

डीवीटी का एक सामान्य लक्षण घुटने के नीचे पैर में सूजन है. आपको इस बीमारी की चपेट में आने पर थक्के वाले क्षेत्र में लालपन और वहां की स्किन बहुत स्मूथ और उस जगह दर्द हो सकता है. लेकिन ये हमेशा नहीं रहेगा. डीवीटी वाले लगभग आधे लोगों को कोई भी चेतावनी भरा संकेत नहीं दिखाई देता है.

अगर आप बैठकर सोना चाहते ही हैं तो इसके लिए हमेशा रिक्लाइनर का इस्तेमाल करें. हालांकि इस तरह सोने से भी व्यक्ति को हमेशा बचना ही चाहिए. वहीं गर्भवती महिलाएं चाहे तो इस तरह सो सकती हैं. इससे उनके लिए सोना आसान हो जाएगा. इसके अलावा स्लीप एपनिया के मरीज भी इस तरह सो सकते हैं.आपको बता दें कि यह नींद से जुड़ा विकार है जिसके दौरान सोते हुए सांस लेने में दिक्कत आती है या फिर एसिड रिफ्लक्स होने लगता है. साथ ही बैठकर सोने से आपको गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल समस्या हो सकती है.