हरिद्वारः राजसत्ता की तरह धर्मसत्ता भी सनातन धर्म को फैलाने का कार्य कर रही है-श्रीमहंत हरिगिरि

 

विधान केसरी समाचार

 

हरिद्वार। श्रीपंच दशनाम जूना अखाड़ा द्वारा निकाली जाने वाली प्राचीन पवित्र छड़ी को नगर भ्रमण दूसरे दिन भी जारी रहा। जूना अखाड़े के अर्न्तराष्ट्रीय संरक्षक तथा अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के महामंत्री श्रीमहंत हरिगिरि महाराज, जूना अखाड़ा के अर्न्तराष्ट्रीय सभापति श्रीमहंत प्रेमगिरि महाराज सहित कई संत,श्रीमहंतों की मौजूदगी में भूपतवाला स्थित श्रीमहंत भल्लेगिरि आश्रम से पूर्ण विधि विधान के साथ पवित्र छड़ी को भीमगोड़ा स्थित काली मन्दिर ले जाया गया,जहां पर पूजा अर्चना के बाद बाबा काली कमली आश्रम स्थित मन्दिर ले जाया गया,जहां पर छड़ी का अभिषेक व पूजन हुआ। वहां से पवित्र छड़ी पावन धाम चैराहे से होती हुई चण्डीघाट स्थित दक्षिण काली मन्दिर पहुची,जहां पर निरंजन पीठाधीश्वर आचार्य महामण्डलेश्वर स्वामी कैलाशानंद गिरि महाराज, एवं श्रीनिंरजनी अखाड़ा के राष्ट्रीय सचिव श्रीमहंत रविन्द्रपुरी ने पवित्र छड़ी की आगवानी करते हुए माई के मन्दिर ले जाया गया,जहां पर पूर्ण विधि विधान के साथ पूजा अर्चना की गई तथा अभिषेक किया गया। वही पर नीलधारा में ले जाकर पवित्र छड़ी को गंगास्नान कराया गया।

 

इस मौके पर निरंजन पीठाधीश्वर ने कहा कि पवित्र छड़ी यात्रा प्राचीन काल से निकलती रही है,आज भी कश्मीर में अमरनाथ तथा उत्तराखण्ड के मदमहेश्वर में छड़ी यात्रा निरन्तर जारी है।

 

उन्होने कहा कि पवित्र छड़ी यात्रा का उदद्ेश्य सनातन धर्म का प्रचार प्रसार करना है। कहा कि उत्तराखण्ड में हजारों की संख्या में विभिन्न स्थानों पर तीर्थ स्थल उपेक्षित एवं जीर्ण-शीर्ण है। तमाम प्रयासों के बाद भी वहां तीर्थयात्रियों का पहुचना संभव नही हो पा रहा है,ऐसे में इस पवित्र छड़ी यात्रा के जरिये इन जीर्ण-शीर्ण तीर्थस्थलों का विकास करके सनातन धर्मालम्बियों को वहा तक पहुचने का सुगम मार्ग बनाना है। स्वामी कैलाशानंद गिरि महाराज ने कहा कि उत्तराखण्ड के चारों धामों के आप-पास वर्ग विशेष की आबादी जिस तरह से बढ़ रही है,वह वाकई चिन्ताजनक है। सरकार को इस ओर ध्यान देना चाहिए। जूना अखाड़े के अर्न्तराष्ट्रीय संरक्षक श्रीमहंत हरिगिरि महाराज ने कहा कि इस यात्रा का उददेश्य उत्तराखण्ड में उपेक्षित तीर्थो का विकास एवं उनके संवर्द्वन,संरक्षण कर विकसित करना है।

 

उन्होने कहा कि उत्तराखण्ड जो कि देवभूमि है,यहां पर पांच हजार से अधिक तीर्थ स्थल जीर्ण-शीर्ण एवं उपेक्षित है। इस पवित्र छड़ी यात्रा के द्वारा उन तीर्थस्थलों को विकसित कर वहां सनातन धर्मालम्बियों को आकृष्ट करना है। उन्होने कहा कि जिस तरह राजसत्ता राज्य का संचालन करती है,उसी तरह धर्म सत्ता सनातन धर्म को और अधिक मजबूत करने के लिए निरन्तर प्रयासरत है। धर्मसत्ता लगातार सनातन धर्म को फैलाने का कार्य कर रही है।

 

उन्होने आशा व्यक्त करते हुए कहा पवित्र छड़ी यात्रा से निश्चित ही उत्तराखण्ड के तीर्थ स्थानों की संख्या में और अधिक बढ़ोत्तरी होगी,तीर्थयात्रियों की तादाद बढ़ेगी,जिससे स्थानीय स्तर पर रोजगार के अवसर भी बढ़ेंगे। इस दौरान श्रीमहंत हरिगिरि महाराज ने राज्य में उपेक्षित तीर्थस्थलों के विकास एवं पूर्णोद्वार को लेकर सरकार से कार्ययोजना बनाकर कारवाई की अपील की। पवित्र छड़ी के साथ जूना अखाड़ा के राष्ट्रीय सचिव श्रीमहंत महेशपुरी,श्रीमहंत शैलेन्द्र गिरि,श्रीमहंत केदारपुरी,थानापति राजगिरि,श्रीमहंत पुष्कर गिरि,श्रीमहंत दीनदयाल गिरि साधुओं का जत्था साथ चल रहा है। पवित्र छड़ी रविवार को भ्रमण के बाद मायादेवी मन्दिर प्रांगण लाया जायेगा,जहां से निर्धारित कार्यøमानुसार उत्तराखण्ड की यात्रा के लिए रवाना होगी।