भारतीय सशस्त्र सेनाओं के बीच समन्वय और क्षमता में वृद्धि के लिए बनाया जा रहा रोडमैप-बिपिन रावत

 

चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल बिपिन रावत ने कहा कि भारत अपनी सशस्त्र सेनाओं का पुनर्गठन कर उनका आकार छोटा करने तथा अधिक प्रभावी बनाने की प्रक्रिया में है. रावत ने गुरूवार को कहा कि इसके अलावा साइबर, इलेक्ट्रॉनिक युद्ध कौशल तथा कृत्रिम बुद्धिमत्ता जैसी नई तकनीक से भी सेनाओं को लैस किया जा रहा है.

 

जनरल रावत ने एक कार्यक्रम में यह भी कहा कि भारतीय सशस्त्र सेनाओं के बीच समन्वय और एकीकृत क्षमता में वृद्धि के लिए एक रोडमैप बनाया जा रहा है. उन्होंने कहा कि भारत का ध्यान रक्षा उत्पादन के क्षेत्र में आत्मनिर्भर होने तथा क्षेत्रीय शक्ति बनने पर केंद्रित है.

 

सीडीएस ने आगे कहा कि युद्ध बदल रहा है इसलिए चुनौतियां भी हैं. ऐसे में पड़ोसी देशों से मिलीभगत की धमकी, सीमा पर घुसपैठ समेत कई मोर्चे पर चनौती हकीकत है. रावत ने कहा कि देश की सशस्त्र सेनाओं को भविष्य की चुनौतियों के लिए तैयार रहना चाहिए. साथ ही भारत के चारोंच ओर अनिश्चित माहौल को देखते हुए सुरक्षा की बदलती गतिशीलता के साथ तैयार रहना चाहिए.

इससे पहले, प्रमुख रक्षा अध्यक्ष जनरल बिपिन रावत ने सोमवार को कहा कि भारतीय निजी उद्योग क्षेत्र को देश के सशस्त्र बलों की अभियान संबंधी क्षमताओं को बढ़ाने के लिए अत्याधुनिक अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी तथा उत्पाद मुहैया कराने की दिशा में काम करना होगा. उन्होंने कहा, ‘‘शांति और संघर्ष, सभी क्षेत्रों में अभियान चलाने की हमारी क्षमता के लिए अंतरिक्ष और साइबर क्षेत्र महत्वपूर्ण बन गये हैं.’’ जनरल रावत ने कहा कि भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) नेतृत्व और मार्गदर्शन प्रदान करता रहेगा, वहीं देश तथा सशस्त्र बलों की बढ़ती जरूरतों को पूरा करने के लिए निजी उद्योगों को सहभागिता के साथ आगे बढ़ना होगा.

उन्होंने कहा, ‘‘सशस्त्र बल इस बात को लेकर आशान्वित हैं कि भारतीय उद्योग युद्ध जीतने की क्षमताओं के लिए उत्पाद और नवोन्मेषी तकनीकों के साथ अत्याधुनिक प्रौद्योगिकियां प्रदान करेंगे.’’ वह इंडियन स्पेस एसोसिएशन की शुरुआत के अवसर पर समारोह को संबोधित कर रहे थे. यह अंतरिक्ष क्षेत्र के उद्योग जगत का एक संगठन है जिसमें भारती एयरटेल, लार्सन एंड टूब्रो, अग्निकुल, ध्रुव स्पेस तथा कावा स्पेस जैसी कंपनियां शामिल हैं.