घटना का हमसे कोई संबंध नहीं, दोषी निहंगों पर हो सख्त कार्रवाई-संयुक्त किसान मोर्चा

 

हरियाणा-दिल्ली सिंघू सीमा के पास सुबह एक कटे हुए हाथ वाले व्यक्ति का शव मिला. सोशल मीडिया पर सामने आई तस्वीरों के मुताबिक अर्धनग्न शव बैरिकेड्स से लटका हुआ दिख रहा था. कथित तौर पर शव उसी स्थान पर मिला, जहां किसान पिछले एक साल से नए कृषि कानूनों का विरोध कर रहे थे. इस हत्या के बाद अब संयुक्त किसान मोर्चा ने बयान जारी करके कहा है कि इस घटना का हमसे कोई संबंध नहीं है. किसान मोर्चा ने दावा किया है कि इस घटना की जिम्मेदारी निहंग समूह ने ली है.

संयुक्त किसान मोर्चा ने कहा है, ‘’पंजाब के रहने वाले एक व्यक्ति लखबीर सिंह की आज सुबह सिंघू बार्डर पर हत्या कर दी गई. घटनास्थल पर मौजूद एक निहंग समूह ने इसकी जिम्मेदारी लेते हुए कहा है कि यह घटना मृतक के सरबलोह ग्रांट के संबंध में बेअदबी करने की कोशिश के कारण हुई है. बताया गया है कि यह मृतक कुछ समय से निहंगों के एक ही समूह के साथ रह रहा था.’’ बता दें कि इस मामले में पुलिस ने अज्ञात व्यक्ति के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर ली है.

किसान मोर्चा ने आगे कहा, ‘’हम इस भीषण हत्या की निंदा करते हैं और यह स्पष्ट करना चाहते हैं कि इस घटना के दोनों पक्षों, निहंग समूह और मृतक व्यक्ति का संयुक्त किसान मोर्चा से कोई संबंध नहीं है. मोर्चा किसी भी धार्मिक पाठ या प्रतीक की बेअदबी के खिलाफ है, लेकिन यह किसी को भी कानून अपने हाथ में लेने का अधिकार नहीं देता है. हम मांग करते हैं कि हत्या और बेअदबी के पीछे साजिश के आरोप की जांच कर दोषियों को कानून के मुताबिक सजा दी जाए. हमेशा की तरह संयुक्त किसान मोर्चा किसी भी कानूनी कार्रवाई में पुलिस और प्रशासन का सहयोग करेगा.’

वहीं, अखिल भारतीय किसान सभा महासचिव हन्नान मोल्लाह ने कहा है, ‘’10 महीने से किसान आंदोलन को बदनाम करने का एक संयोजित प्रयास चल रहा है. संयुक्त किसान मोर्चा से इसका कोई संबंध नहीं है. मोर्चा के बाहर एक ग्रुप वहां बैठा हुआ है, उन्होंने किया है. सरकार को जांच करनी चाहिए. पुलिस को जांच करनी चाहिए.’’

बताया जा रहा है कि सिंघू बॉर्डर के दोनों ओर हरियाणा और दिल्ली दोनों की पुलिस मौजूद है. गौरतलब है कि पूर्व में किसानों का विरोध हिंसक रूप ले चुका है. तीन अक्टूबर को उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी में किसानों के विरोध के दौरान एक वाहन पर हमला और मॉब लिंचिंग की घटना देखी गई. इस घटना में 4 अन्य के अलावा 4 किसानों की मौत हो गई. किसान संगठनों ने दावा किया कि पिछले एक साल से तीन कृषि कानूनों के विरोध में अब तक 630 किसानों की मौत हो चुकी है.