अलीगढ़ : मैक्स हॉस्पिटल, पटपड़गंज ने अलीगढ़ में विशेष आ र्थोपेडिक ओपीडी शुरू हर महीने के दूसरे और चौथे मंगलवार को सुबह 11 बजे से दोपहर 3 बजे तक यह ओपीडी खुलेगी

 

विधान केसरी समाचार

 

अलीगढ।  उत्तर भारत का अग्रणी स्वास्थ्य संस्थान मैक्स सुपर स्पेशियल्टी हॉस्पिटल ने आज अलीगढ़ में मासिक तौर पर ज्वाइंट रिप्लेसमेंट और आ र्थोपेडिक्स ओपीडी सेवाएं शुरू करने की घोषणा की। यह सुविधा मैक्स पेशेंट असिस्टेंस सेंटर , कुमार नर्सिंग होम, रामघाट रोड, अलीगढ़ में हर महीने दूसरे और चौथे मंगलवार को सुबह 11 बजे से दोपहर 3 बजे तक उपलब्ध रहेगी। इस सुविधा से स्थानीय लोगों को दूसरे शहर जाने के लिए समय और धन खर्च किए बिना अपने शहर में ही अच्छी स्वास्थ्य सेवा उपलब्ध हो जाएगी इस मौके पर लोगों में जागरूकता बढ़ाने की सख्त जरूरत को देखते हुए मैक्स हॉस्पिटल के विशेषज्ञों ने खराब और निष्क्रिय लाइफस्टाइल के कारण बढ़ती आ र्थोपेडिक समस्याओं पर अपने विचार रखे और अलीगढ़ के लोगों को सर्वश्रेष्ठ स्वास्थ्य सेवाएं मुहैया कराने की अपनी मंशा व्यक्त की। मैक्स हॉस्पिटल में ऑर्थोपेडिक एंड ज्वाइंट रिप्लेसमेंट के सीनियर कंसल्टेंट डॉ. राजीव जैन की अगुवाई में यह सम्मेलन और उद्घाटन समारोह का आयोजन किया गया।

डॉ. राजीव जैन ने कहा, ’जोड़ों का दर्द और घुटनों की समस्याएं भारतीयों में आम हो गई हैं और इसमें सबसे चिंताजनक बात यह है कि हम इन समस्याओं की अनदेखी करते रहते हैं। इन समस्याओं के साथ ही शरीर का वजन बढ़ना, कैल्सियम और बोन डेंसिटी का कम होना जैसी अन्य समस्याएं भी बढ़ने लगती हैं, लेकिन शुरुआती स्तर पर इसकी पहचान और लाइफस्टाइल में सुधार से इन पर काबू पाया जा सकता है। लिहाजा ऐसी समस्याओं के कारणों की पहचान करना और दीर्घकालिक निदान तथा रिकवरी के लिए संपूर्ण समाधान हासिल करना जरूरी है।

 

इस ओपीडी के जरिये हमारा मकसद इस क्षेत्र के निवासियों को सर्वोत्कृष्ट स्वास्थ्य सेवाएं मुहैया कराना ही है।आज की पीढ़ी शारीरिक श्रमरहित जीवनशैली अपनाती है कार्यस्थल पर एक ही मुद्रा में, खासकर गलत मुद्रा में लंबे समय तक बैठे रहते हैं। इसके अलावा देर रात तक की नौकरी, धूम्रपान, कंप्यूटर पर लंबे समय तक बैठे रहना और अनियमित खानपान की आदतें भी जोड़ों में डिसआ र्डर और घुटने के दर्द की समस्या पैदा करती हैं और हड्डियों की बीमारियों की चपेट में युवा वर्ग भी आने लगा है। अल्कोहल सेवन और धूम्रपान (ये दोनों आदतें शरीर में कैल्सियम की कमी करती हैं) के कारण हड्डी रोग का खतरा बढ़ जाता है। नतीजतन युवाओं में जोड़ों की समस्या और घुटनों का दर्द होने लगता है। 35 साल की उम्र के बाद पुरुषों और महिलाओं की बोन डेंसिटी 0.3 से 0.5 फीसदी तक कम हो जाती है।’

 

उन्होंने कहा, ’इसके अलावा मोटापे के कारण भी आ स्टियोअर्थराइटिस और घुटनों की समस्या बढ़ती है क्योंकि घुटनों पर अपने वजन से छह गुना अधिक वजन का बोझ पड़ने से जोड़ों की समस्याएं उभरने लगती हैं। मोटापा और अत्यधिक वजन युवाओं में इस तरह की बीमारियों की संभावना तीन गुना तक बढ़ा देती है। हालांकि आधुनिक उपचार पद्धतियों की उपलब्धता और लोगों में इस तरह की समस्याओं से निजात पाने की जानकारी से इन्हें बढ़ने से रोका जा सकता है।