प्रयागराज : कैकेयी गयी कोपभवन में राजा दशरथ से भिजवाया राम को वनवास

 

विधान केसरी समाचार

 

प्रयागराज । राम के राजतिलक का शुभ समाचार अयोध्या के घर-घर में पहुँच गया। पूरी नगरी में प्रसन्नता की लहर फैल गई। घर-घर में मंगल मनाया जाने लगा। ऐसा प्रतीत होने लगा कि अयोध्या नगरी नववधू के समान ऋंगार कर राम के रूप में वर के आगमन की प्रतीक्षा कर रही है।

 

किन्तु राम के राजतिलक का समाचार सुनकर एवं नगर की इस अद्भुत् श्रृंगार को देखकर रानी कैकेयी कि प्रिय दासी मंथरा के हृदय को असहनीय आघात लगा। वह सोचने लगी कि यदि कौशल्या का पुत्र राजा बन जायेगा तो कौशल्या को राजमाता का पद प्राप्त हो जायेगा और कौशल्या की स्थिति अन्य रानियों की स्थिति से श्रेष्ठ हो जायेगी। ऐसी स्थिति में उसकी दासियाँ भी स्वयं को मुझसे श्रेष्ठ समझने लगेंगीं।

मंथरा के मुख से राम के राजतिलक का समाचार सुनकर कैकेयी को अत्यंत प्रसन्नता हुई। समाचार सुनाने की खुशी में कैकेयी ने मंथरा को पुरस्कारस्वरूप एक बहुमूल्य आभूषण दिया और कहा, मंथरे! तू अत्यन्त प्रिय समाचार ले कर आई है। तू तो जानती ही है कि राम मुझे बहुत प्रिय है। इस समाचार को सुनाने के लिये तू यदि और भी जो कुछ माँगेगी तो मैं वह भी तुझे दूँगी।

कैकेयी के वचनों को सुन कर मंथरा अत्यन्त क्रोधित हो गई। उसकाका तन-बदन जल-भुन गया। पुरस्कार में दिये गये आभूषण को फेंकते हुये वो बोली, महारानी आप बहुत नासमझ हैं। स्मरण रखिये कि सौत का बेटा शत्रु के जैसा होता है। राम का अभिषेक होने पर कौशल्या को राजमाता का पद मिल जायेगा और आपकी पदवी उसकी दासी के जैसी हो जायेगी। आपका पुत्र भरत भी राम का दास हो जायेगा। भरत के दास हो जाने पर पर आपकी बहू को भी एक दासी की ही पदवी मिलेगी। मंत्र के समझने पर कैकेयी कैकेयी कोपभवन में जाकर लेट गई।

कोप भवन उस भवन का नाम है जिसमें जाकर महारानी कैकेयी ने राजा दशरथ के प्रति क्रोध दिखाया था। राजा के मनाने पर वह तभी मानी जब पहले से माँगे हुए वर की पूर्ति के लिए राजा राम को चौदह वर्ष का वनवास देने और भरत का राज्याभिषेक कराने के लिए तैयार हो गये।

रामायण के उपर्युक्त प्रसंग का मंचन कटरा रामलीला में रविवार रात को हुआ जब दर्शकों का मन भी राम के वनवास जाने पर ग़मगीन हो गया , पूरा माहौल एक तरह से राम के प्रति होने वाली अनहोनी से ग्रसित हो गया . रामलीला के मंचन में कैकेयी का पात्र कर रही शालिनी श्रीवास्तव ने अभिनय को सजीवता प्रदान किया और वास्तविक जीवन में स्वाभाव से चुलबुली शालिनी श्रीवास्तव पल भर में खलनायिका बन गयीं . ।

शालिनी श्रीवास्तव ने हमारे संवाददाता से बताया कि अभिनय करते समय किरदार पर ज्यादा ध्यान रहता है कि कैसे उसे जीवंत किया जाय बाकि उनके मन में राम के प्रति श्रद्धा है और वे हमेसाह भक्ति में भरोसा करती हैं . कैकेयी का रोल बहुत चल्लेंजिंग है और उनको उसे निभाकर बहुत खुशिओ हुई . ।

रामलीला के इस प्रसंग के मंचन के दौरान पूर्व मंत्री नरेंद्र कुमार सिंह गौर आदि गणमान्य लोगों के आलावा दूर दर्ज से ए हजारों दर्शक मौजूद थे जिन्होंने नौरात्र के दुराण हुए रामलीला मंचन का आनंद लिया .।