रायबरेली : पराली जलाने से ओजोन परत को क्षति पहुँचाती है- डा0 दीपाली चौहान

 

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रायबरेली । फसल अवशेष प्रबन्धन योजना के अन्तर्गत, कृषि विज्ञान केन्द्र दरियापुर रायबरेली द्वारा चन्द्रपाल इण्टर कालेज कालेज गंगागंज में कार्यक्रम आयोजित कियागया। कार्यक्रम जिसमें 250 स्कूली बच्चों ने प्रतिभाग किया। मुख्य उद्देश्य बच्चों को पराली जलाने सेहोने वाले दुष्प्रभावों की जानकारी देना साथ ही पराली का विभिन्न रूपों में प्रयोग करके लाभ कमाने केउपाय बताना है। बच्चे ही हमारे देश की नींव है, भावी किसान है, इसलिए उन्हें जागरूक करके देश मेंफैली अनेकों समस्याओं को दूर किया सकता है। बच्चों के माध्यम से पराली न जलाने का सन्देश जबउनके घर पर पहुँचेगा तो निश्चित रूप से किसान भाई पराली न जलाने के लिए अधिक दृढता से प्रतिबद्ध होंगे। कार्यक्रम के माध्यम से केन्द्र की डा0 दीपाली चौहान ने बच्चों को जानकारी दी कि पराली जलाने से वातावरण में हाउस गैसों की मात्रा बढ़ जाती है, जो ओजोन परत को क्षति पहुँचाती है, जिससे सूर्य को हानिकारक अल्ट्रावायलेट किरणें धरती पर पहुँचाती है, और विभिन्न प्रकार के त्वचा रोगों कोजन्म देती है। साथ ही पराली जलाने से धुंए में उपस्थित कार्बन डाई आक्साइड कार्बन मोनो ऑक्साइडगैंसे, हवा में घूलकर उसे जहरीली बना देती है, और जब यह गैंसे हवा के साथ हमारे शरीर में पहुँचाती है तो विभिन्न प्रकार के सांस से सम्बन्धित रोगों के रूप से खाद बनाने वाले सूक्ष्म जीवाणु भी नष्ट हो जाते हैं, जिससे खाद बनने की प्रक्रिया रूक जामी है, और अगली फसल के लिए अधिक खाद देने की आवश्यकता होती है। पराली का प्रयोग खाद के रूप में, पशुओं के चारे के रूप में, बिजली बनाने के प्लांट में, कागज उद्योग में भी किया जा सकता है जिससे किसानों की आमदनी भी बढ़ेगी। कार्यक्रम मेंबच्चों ने स्लोगन प्रतियोगिता एवं निबन्ध प्रतियोगिता में प्रतिभाग किया, जिससे प्रथम, द्वितीय एवं तृतीय आने वाली बच्चों को पुरस्कार भी वितरित किये गये।