झालू : आंगनबाड़ी कार्यकत्री निज निवास पर केंद्र संचालित करने को मजबूर

 

विधान केसरी समाचार

 

झालू । नगर के अधिकतर आंगनबाड़ी केंद्र सरकार के मानकों पर खरा नहीं उतर पा रहे हैं ,क्योंकि अधिकतर कार्यकत्रियों ने मकान किराए पर ना मिलने के कारण अपने निज निवास में केंद्र संचालित कर रखे हैं स इन केंद्रों में बच्चों के बैठने तक की समुचित व्यवस्था नहीं है । हलदौर थाना क्षेत्र के कस्बा झालू में 19 आंगनबाड़ी केंद्र स्थापित है, जिनमें अधिकतर निज निवास में संचालित हैं स कुछ ही सेंटर ऐसे हैं जो किराए पर लेकर संचालित किए जा रहे हैं । आंगनवाड़ी कार्यकत्री एक छोटा सा कमरा किराए पर लेकर सेंटर चलाने के लिए मजबूर है स. क्योंकि सरकार से मिलने वाला खर्च भी उन्हें नहीं मिल पा रहा है । आज के समय में सरकार के मानक के अनुरूप यदि सैफरेट कमरा किराए पर लिया जाता है तो लगभग 4 व 5 हजार रुपए से कम में किराए पर नहीं मिलेगा स सरकार का स्पष्ट कहना है की आंगनबाड़ी केंद्रों में लेट्रिन, बाथरूम, नल की व्यवस्था एवं खेलने का मैदान भी होना चाहिए स दूसरी ओर सरकार किराए के नाम पर मात्र 500 देकर अपने कर्तव्य की इतिश्री कर रही है । वह भी आंगनबाड़ी कार्यकत्रियों को नहीं मिल पा रहा है ।

 

कॉविड 19 के दृष्टिगत सरकार की गाइडलाइन के अनुसार सोमवार व बृहस्पतिवार को आंगनबाड़ी केंद्र संचालित करने के आदेश दिए गए हैं । जिनमें मात्र छह ही बच्चों को बैठाया जाएगा । इन आंगनबाड़ी केंद्रों में गर्भवती महिलाओं एवं मातृत्व शिशुओं को पोषाहार वितरण किया जाता है । नगर के मोहल्ला महाजनान वार्ड नंबर 11 में आंगनबाड़ी केंद्र एक छोटे से कमरे में संचालित है स केंद्र की संचालिका गीता अग्रवाल का कहना है कि सरकार से किराए के नाम पर बहुत कम राशि आती है जो वह भी नहीं मिल पा रही है, हमें खुद ही किराया वहन करना पड़ रहा है स उनका कहना है कि सरकार से वितरण करने के लिए जो पोषाहार मिलता है ,वह समय अनुसार वितरित कर दिया जाता है स इस बार गर्भवती महिलाओं एवं मातृत्व शिशुओं को 1 किलो दाल व 500 ग्राम रिफाइंड मिल रहा है । वही मोहल्ला मृदा गान वार्ड नंबर 1 आंगनबाड़ी केंद्र की संचालिका निखिलेश देवी का कहना है कि सरकार ने जो मानक केंद्र संचालित करने के लिए रखे हैं । उस हिसाब से कोई सेपरेट रूम लिया जाता है तो वह कम से कम 5000 में मिलेगा ।

 

जबकि सरकार से मिलने वाली राशि ऊंट के मुंह में जीरे के समान है स जो समय पर नहीं मिल पाती है । कुछ आंगनबाड़ी कार्यकत्रियों ने किराए पर कमरे ले रखे है ,तो कुछ अपने निजी निवास पर केंद्र संचालित करने को मजबूर है स सर्वे करने पर पाया गया की अधिकतर आंगनबाड़ी केंद्र छोटे-छोटे कमरों में संचालित किए जा रहे हैं । जिनमें बच्चे सही ढंग से बैठकर पढ़ भी नहीं पाएंगे । यह भी देखने में आया है कि खाद्यान्न बांटने के दिन ही आंगनबाड़ी केंद्रों को खोला जाता है ।

 

ग्रामीण अंचलों में चलने वाले आंगनबाड़ी केंद्रों की स्थिति और भी खस्ताहाल है स क्योंकि कुछ आंगनबाड़ी केंद्र खाद्यान्न बांटने तक ही सीमित होकर रह गई हैं ससरकार आंगनबाड़ी केंद्रों में आने वाले बच्चों मैं कुपोषण खत्म करने के लिए अनाज दाल रिफाइंड वितरित करा रही है । कुछ आंगनबाड़ी कार्यकत्रियों ने नाम नहीं छापने की शर्त पर बताया की आए दिन सर्वो के नाम पर ड्यूटी लगा दी जाती है स जिसके चलते केंद्र संचालित करने में बाधाएं उत्पन्न होती है स. नगर व आसपास क्षेत्र के ज्यादातर आंगनबाड़ी केंद्रों में बच्चों के सही ढंग से बैठने के साथ-साथ खेलने की भी समुचित व्यवस्था नहीं है । जो एक सोचनीय प्रश्न है ।