प्रेगनेंसी के बारे में आम सवाल जिनके जवाब महिलाओं को जानना हैं जरूरी

 

प्रेगनेन्सी किसी महिला की जिंदगी को बदलने वाला पल है. मां बनने के एहसास से बदलाव शुरू होते हैं. एक तरफ नए मेहमान का इंतजार, तो दूसरी तरफ स्वास्थ्य की नई चुनौतियां मुंह बाए खड़ी रहती हैं. महिला की जिंदगी के इस चरण में कुछ कठिन दौर होते हैं. उसके शारीरिक, भावनात्मक और मानसिक स्वास्थ्य पर असर पड़ता है. इन परिस्थितियों में प्रेगनेंट महिला को बच्चे की देखभाल की सबसे बड़ी चिंता होती है. प्रेगनेंसी केयर के बारे में सीखने के लिए बहुत कुछ है. खासकर अगर आपकी प्रेगनेंसी पहली है तो कई सवाल दिमाग में कौंधते हैं. प्रेगनेंसी की दिक्कतों से बचने के लिए बेहतर है बार-बार पूछे जानेवाले सवालों के जवाब पहले ही जान लिए जाए.

 

प्रेगनेंट होने का सही समय क्या है?
गाइनाकोलॉजिस्ट डॉक्टर रंजना धानु के मुताबिक, अगर आप गर्भधारण करना चाहती हैं तो आदर्श उम्र का जानना महत्वपूर्ण है. उनकी सलाह है कि सामाजिक दबाव में न आएं क्योंकि आखिरकार आप ही को बच्चे की परवरिश करनी है. एक महिला का जन्म सीमित एग के साथ होता है. इसलिए उसे कम से कम 35 साल की उम्र से पहले एक बच्चे का मंसूबा बनाना चाहिए.

 

क्या प्री- प्रेगनेंसी टेस्ट जरूरी है?
प्री- प्रेगनेंसी टेस्ट में सोनोग्राफी, ब्लड जांच, डायबिटीज और थायरॉयड की जांच शामिल हैं. उसमें एंडोमेट्रियोसिस या फाइब्रॉएड के लिए की गई पूर्व की सर्जरी की हिस्ट्री को जांचना भी होता है, क्योंकि ये बेहद रिस्क की श्रेणी में किसी शख्स को डालता है.

 

पोस्टपार्टम डिप्रेशन को कैसे समझें?
पोस्टपार्टम डिप्रेशन बहुत आम है, लेकिन सबसे अच्छी बात है कि उसे रोका जा सकता है. नींद नहीं आना, भूख नहीं लगना, मरीज का अपने आप में गुम रहना और आत्महत्या के ख्याल आना हैं पोस्टपार्टम डिप्रेशन है. इस चरण में आप असहाय, घुटन महसूस कर सकती हैं या शायद आपको लगे कि आप बच्चे की देखभाल के लिए तैयार नहीं हैं. ऐसी स्थिति का मुकाबला करने के लिए डाइट में बदलाव और परामर्श की जरूरत होती है.